दिवाली जैन धर्म में विशेष महत्व रखती है, क्योंकि इसे भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। जैन समाज के लोग इस पर्व को धूमधाम से मनाते हैं, लेकिन इसके पीछे मुख्य रूप से आत्मिक शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का संदेश छिपा होता है। अभिषेक जैन, महासचिव, गाजियाबाद पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन, बताते हैं कि जैन धर्म में दिवाली के दौरान आंतरिक शांति और ध्यान पर जोर दिया जाता है। जैन मंदिरों में भगवान महावीर की पूजा की जाती है और उनके उपदेशों का स्मरण किया जाता है। इस दिन जैन अनुयायी प्रदूषण फैलाने वाले साधनों, जैसे पटाखे और तेज रोशनी, से बचने का संकल्प लेते हैं। जीव हत्या को पूरी तरह से त्यागते हुए, सभी प्राणियों के प्रति अहिंसा का पालन किया जाता है। वर्तमान समय में बढ़ते प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए, यह आवश्यक है कि हम दिवाली जैसे बड़े पर्वों को पर्यावरण के अनुकूल तरीके से मनाएं। मिठाइयों और उपवास के साथ, जैन परिवार इस दिन पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी सोचते हैं। हमें प्रदूषण को रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए ताकि दिवाली के दौरान पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े और यह पर्व शांति और सद्भाव के साथ मनाया जा सके।