चौधरी अफसर
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 876 नई शराब की दुकानों की स्थापना और साथ ही 27,000 परिषदीय स्कूलों को बंद करने की योजना ने जनता में आक्रोश और चिंता को जन्म दिया है। वरिष्ठ समाजसेवी अफज़ल खान सैफी ने इस फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए इसे राज्य के युवाओं के भविष्य को “नशे की दलदल” की ओर धकेलने का प्रयास बताया है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी, शिक्षा के घटते स्तर, और युवाओं की असुरक्षित भविष्य को देखते हुए यह कदम अत्यंत निंदनीय है। “जब हमारे बच्चों को एक मजबूत और उज्ज्वल भविष्य देने के लिए शिक्षा संस्थानों को और अधिक सशक्त करना चाहिए, तब सरकार उन स्कूलों को बंद करने की तैयारी कर रही है, जहां गरीब और कमजोर तबके के बच्चे पढ़ते हैं। यह कदम एक तरह से इन बच्चों के अधिकारों का हनन है,” सैफी ने कहा।
शराब की नई दुकानों की स्थापना के बारे में उनका कहना है कि यह कदम युवाओं को नशे की आदतों में फंसाने की साजिश जैसा प्रतीत होता है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि एक ओर तो सरकार ‘नशामुक्त भारत’ का सपना दिखाती है, वहीं दूसरी ओर शराब की नई दुकानों को खोलने की मंजूरी दी जा रही है। “यह नीति विरोधाभास से भरी हुई है और इससे केवल नशे की लत में फंसने वालों की संख्या बढ़ेगी,” उन्होंने कहा।
अफज़ल खान सैफी ने जोर देकर कहा कि सरकार को शराब की दुकानों के बजाय, शिक्षा के प्रसार पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और स्कूलों को सशक्त बनाना चाहिए। उन्होंने राज्य सरकार से मांग की कि वह इस फैसले को वापस ले और शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए प्रभावी कदम उठाए।