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नई दिल्ली (अहम सत्ता) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की प्रधान पीठ, नई दिल्ली में न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी (न्यायिक सदस्य) और डॉ. अफरोज अहमद (विशेषज्ञ सदस्य) की पीठ ने 08 जनवरी 2025 को विविध आवेदन संख्या 48/2022 में सुनवाई की। यह मामला मूल आवेदन संख्या 30/2022 से संबंधित है, जिसमें अफसर अली ने उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य को प्रतिवादी बनाते हुए याचिका दाखिल की थी।

हलफनामे की प्रस्तुति: उत्तर प्रदेश राज्य ने 06 जनवरी 2025 को हलफनामा दाखिल किया। इसमें सिविल अपील डायरी संख्या 45810/2024 के तहत माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार अंतरिम पर्यावरण क्षतिपूर्ति जमा करने और विद्यमान एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) से जुड़ी सीवरेज लाइन की स्थापना में हुई प्रगति का उल्लेख किया गया।

सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई: राज्य के अधिवक्ता ने सूचित किया कि सिविल अपील की सुनवाई 10 फरवरी 2025 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष निर्धारित है।

आदेश और सुनवाई की अगली तारीख: एनजीटी ने निर्देश दिया कि उत्तर प्रदेश राज्य 09 अप्रैल 2025 को अगली सुनवाई से पूर्व एक प्रगति रिपोर्ट दाखिल करे। इस रिपोर्ट में एसटीपी से संबंधित परियोजनाओं की वर्तमान स्थिति और सीवरेज लाइन की स्थापना के बारे में विस्तृत जानकारी शामिल होनी चाहिए।

एनजीटी ने राज्य को स्पष्ट निर्देश दिए कि वह परियोजना की प्रगति सुनिश्चित करे और सुनवाई की अगली तारीख से तीन दिन पहले रिपोर्ट प्रस्तुत करे।

प्रतिवादियों की भूमिका

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) और नगर पंचायत, दाना के अधिवक्ताओं ने मामले में अपना पक्ष रखा। उन्होंने परियोजना में प्रगति का विवरण प्रस्तुत करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करने की बात कही।

आगामी सुनवाई 09 अप्रैल 2025 को होगी।

पर्यावरण संरक्षण पर अदालत की सख्ती

यह मामला पर्यावरण क्षति और सीवरेज परियोजनाओं की अनदेखी से संबंधित है। एनजीटी ने स्पष्ट किया कि सरकार और संबंधित एजेंसियों को समयबद्ध तरीके से कार्य सुनिश्चित करना होगा।

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