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कल्लन प्रधान

राजनीति में जातिवाद एक ऐसा मुद्दा है जो समाज की प्रगति में सबसे बड़े रोड़ों में से एक बनकर उभरा है। देश में जातिवाद की जड़ें बहुत गहरी हैं, और यह व्यवस्था राजनीति में भी अपने पांव पसार चुकी है। राजनीतिक दलों द्वारा जातीय आधार पर वोटबैंक की राजनीति की जाती है, जिससे समाज में नफरत और असमानता का माहौल बनता है।

जातिवाद के कारण लोग सिर्फ अपने जातीय समूह की भलाई को सर्वोपरि मानने लगे हैं, जिससे समाज में भाईचारे और एकता की भावना कमजोर पड़ रही है। यह एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है, क्योंकि यह राष्ट्रीय एकता और समरसता के लिए खतरे की घंटी है।

इसके अलावा, जब नेताओं को केवल अपनी जाति के वोटों का ध्यान रहता है, तो वे समाज के अन्य वर्गों के मुद्दों को नजरअंदाज करते हैं। इससे समग्र विकास में रुकावट आती है और बहुत से महत्वपूर्ण समाजिक मुद्दे अनदेखे रह जाते हैं।

जातिवाद की राजनीति को समाप्त कर, अगर हम समाज में समानता और भाईचारे का संदेश फैलाएं, तो हम सही मायनों में सामाजिक प्रगति और विकास की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।

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