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सतीश प्रधान (पूर्व ग्राम प्रधान समयपुर, बसपा)

दिवाली का पर्व हमारी भारतीय संस्कृति का सबसे महत्वपूर्ण और प्रतीकात्मक त्योहार है। यह न केवल रोशनी और खुशियों का संदेश लाता है, बल्कि हमें भाईचारे और प्रेम का महत्व भी सिखाता है। दिवाली को हम सब हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में पटाखों के अधिक उपयोग से पर्यावरण में प्रदूषण बढ़ा है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इस बार हमें एक संकल्प लेना चाहिए कि दिवाली को प्रदूषण मुक्त बनाएंगे।

दिवाली के दौरान पटाखों की जगह पर दीये जलाने का प्रयास करें, जिससे पर्यावरण सुरक्षित रहेगा और साथ ही पारंपरिक दिवाली का अनुभव भी मिलेगा। इससे न केवल हमारे घर, बल्कि समाज में भी शांति का वातावरण बनेगा। दीये जलाने से हमारे आसपास सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और परिवार के सदस्य एकजुट होकर इस पावन अवसर का आनंद लेते हैं। इसके साथ ही, हमें अपने आसपास के गरीबों की मदद करनी चाहिए ताकि वे भी इस त्योहार का आनंद उठा सकें।

आइए, इस दिवाली एक नई दिशा में कदम बढ़ाएं और समाज में एक उदाहरण स्थापित करें कि दिवाली का असली मतलब केवल रोशनी और खुशी फैलाना है, न कि प्रदूषण और परेशानी बढ़ाना।

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