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राजा दीवान
(उपाध्यक्ष, मंडल जलालाबाद
भारतीय जनता पार्टी)

दिवाली का पर्व न केवल रोशनी और उल्लास का, बल्कि समाज में भाईचारे और प्रेम का भी प्रतीक है। यह त्यौहार हमारे समाज की विभिन्नता में एकता का परिचायक है। भारतीय संस्कृति में इस पर्व का विशेष महत्व है क्योंकि यह हमें न केवल खुशियां बांटने का, बल्कि समाज में एकजुटता और प्रेम को बढ़ावा देने का संदेश देता है। दिवाली का पर्व हमें यह सिखाता है कि अंधकार चाहे कितना भी गहरा हो, एक छोटा सा दीया भी उसे दूर कर सकता है।

आजकल के बदलते समय में हमें दिवाली को मनाने के तरीकों पर भी ध्यान देना चाहिए। परंपरागत दीयों के बजाय पटाखों का बढ़ता उपयोग एक गंभीर समस्या बन गया है, जो हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। पटाखों से उत्पन्न होने वाला प्रदूषण न केवल वायु को दूषित करता है, बल्कि ध्वनि प्रदूषण से भी पशु-पक्षियों और बुजुर्गों को कष्ट होता है। इसलिए हमें दीयों, मोमबत्तियों और सजावट के प्राकृतिक तरीकों से दिवाली को और भी सुंदर बनाने का प्रयास करना चाहिए।

इस बार हम सबको यह प्रण लेना चाहिए कि हम प्रदूषण मुक्त दिवाली मनाएंगे। इसके साथ ही जरूरतमंदों की मदद करने की सोच से प्रेरित होकर, उन्हें मिठाइयां, वस्त्र या अन्य आवश्यक वस्तुएं भेंट करें। जब हम किसी की मदद करते हैं, तो उससे प्राप्त खुशियां और दुआएं हमारे जीवन में सकारात्मकता और ऊर्जा का संचार करती हैं।

आइए, इस दिवाली पर हम एक सच्चे भारतीय की तरह इस पर्व का सम्मान करें और समाज में एकता, प्रेम, और स्वच्छता का संदेश फैलाएं। यही दिवाली का असली मतलब है – अंधकार को दूर करके सभी के जीवन में खुशियों का प्रकाश फैलाना।

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