सिंधु जल संधि निलंबन से पाकिस्तान में जल संकट, खेती पर मंडराया खतरा
इस्लामाबाद/नई दिल्ली।
भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित किए जाने के बाद पाकिस्तान में जल संकट गहराने लगा है। सिंचाई और पीने के पानी की भारी कमी के चलते कई इलाकों में हालात बिगड़ गए हैं।
भारत ने 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद यह कड़ा कदम उठाया था। इस हमले में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों द्वारा 26 पर्यटकों की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद भारत ने स्पष्ट कर दिया कि "खून और पानी साथ नहीं बह सकते।"
इंडस रीवर सिस्टम अथॉरिटी (IRSA) की रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार को पाकिस्तान को मिलने वाले पानी की तुलना में 11,180 क्यूसेक अधिक पानी छोड़ दिया गया, जिससे उपलब्धता में भारी गिरावट दर्ज की गई। तरबेला (सिंधु) और मंगला (झेलम) जलाशयों का स्तर अब डेड स्टोरेज के करीब पहुंच चुका है, जिससे सिंचाई और पेयजल संकट और गहराया है।
पंजाब में खरीफ की फसलें सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही हैं। पिछले साल जहां 1.43 लाख क्यूसेक पानी मिला था, वहीं इस साल सिर्फ 1.14 लाख क्यूसेक पानी मिला है—यह करीब 20% की गिरावट है। परिणामस्वरूप, कपास में 30%, गेहूं में 9%, और मक्का में 15% तक उत्पादन में गिरावट आई है। कृषि क्षेत्र की जीडीपी में भी गिरावट दर्ज की गई है, जो 24.03% से घटकर 23.54% रह गई।
पाकिस्तान सरकार ने भारत को चार बार पत्र भेजकर संधि बहाल करने की अपील की, लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया कि आतंकवाद के साथ किसी भी तरह की समझौता नहीं होगा। विश्व बैंक ने भी मामले में मध्यस्थता से इनकार कर दिया है।
भारत इस समय सिंधु-यमुना, ब्यास-गंगा नहर परियोजनाओं और जल नियंत्रण पर गंभीरता से काम कर रहा है।