गाजियाबाद।
शहर के प्रमुख पतंग बाजारों में चाइनीज मांझा खुलेआम बिक रहा है। प्रशासन और पुलिस की आंखों के सामने यह प्रतिबंधित उत्पाद "तेज मांझा" के नाम से बेचा जा रहा है, लेकिन इसे रोकने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है। दैनिक जागरण की टीम ने जब दिल्ली गेट पतंग बाजार में पड़ताल की तो चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई।
"तेज मांझा" नाम से हो रही खुलेआम बिक्री
सुबह 10:30 बजे दिल्ली गेट पतंग बाजार में चहल-पहल दिखी। बारिश शुरू होते ही दुकानदारों ने सामान समेटना शुरू कर दिया। इस बीच एक दुकानदार को एक ग्राहक को "तेज मांझा" नाम से मांझा बेचते हुए देखा गया। जब ग्राहक से पूछा गया कि यह तेज मांझा क्या है, तो उसने खुलकर बताया कि यह चाइनीज मांझा है।
यह साबित करता है कि बाजार में प्रतिबंधित चाइनीज मांझा की बिक्री बेरोकटोक जारी है और अधिकारी इसे जानबूझकर नजरअंदाज कर रहे हैं।
थोक विक्रेता मौन, फुटकर ग्राहक सतर्क
बाजार में दुकानदारों से बातचीत के दौरान हर कोई यही दावा करता रहा कि उनके पास केवल देसी मांझा है, जो बरेली से आता है। लेकिन दुकानों के आस-पास "तेज मांझा" शब्द बार-बार सुनाई दे रहा था। एक किशोर ग्राहक ने तो साफ कहा कि तेज मांझा ही असली चाइनीज मांझा है।
संजय नगर और ट्रांस हिंडन में भी यही हाल
संजय नगर की मुख्य रोड पर भी दुकानदार ग्राहकों से "अंदर वाला" मांझा देने की बात करते देखे गए, जबकि दुकान के काउंटर पर कुछ और मांझा रखा हुआ था। ट्रांस हिंडन क्षेत्र में भी चाइनीज मांझा छिपाकर बेचा जा रहा है। दुकानदार इसे ग्राहकों को इशारे में अंदर से निकालकर दे रहे हैं।
पाबंदी के बावजूद नहीं है कोई निगरानी
चाइनीज मांझे की बिक्री पर कोई सख्त निगरानी नजर नहीं आ रही है। सूत्रों की मानें तो आसपास के जिलों से भी लोग गाजियाबाद आकर चाइनीज मांझा खरीद रहे हैं। इसका सीधा असर प्रशासन की साख पर पड़ रहा है।
कम लागत, ज्यादा मुनाफा बन रहा वजह
चाइनीज मांझा की लागत देसी मांझे से काफी कम है, लेकिन इसकी धार अधिक होती है। पतंगबाज इसे खासतौर पर दूसरी पतंगें काटने के लिए पसंद करते हैं। दुकानदार प्रतिबंध का फायदा उठाकर इसे देसी मांझे से भी ऊंचे दामों पर बेचते हैं, जिससे उन्हें ज्यादा मुनाफा होता है।